सोमवार, 3 दिसंबर 2012

गोलगप्पे वाला



छोटा सा गोल-गप्पे वाला  
काम है देखो बड़ा निराला


नन्हीं नन्हीं पूरी बनाकर
कद्दू सा फिर उन्हें फुलाकर
भरे वो खट्टा मीठा पानी
मिर्च लगे तो दे गुडधानी

सुना है रोज वो जाता स्कूल
कभी होम वर्क गया जो भूल
लेकिन देखी उसकी मेहनत
साथी सब करते हैं इज्जत

माना मंजिल थोड़ी दूर
काम लगन से करे भरपूर
दोहरा रहा है वह यह रीत
परिश्रम की होती है जीत 

रविवार, 21 अक्तूबर 2012

पेड़ और प्रकाश संश्लेषण



ना सांस लेते दिखाई दें
ना बात करते सुनाई दें
ना चलते न दौड़ ही पाते
मगर सजीव ये कहलाते

ज्ञान गंगा डुबकी लगाओ
भैया मेरे मुझे बताओ
मम्मी मुझको देती खाना
चिड़िया भी है खाती दाना

पेड़ कहाँ से भोजन पायें
बिना हाथों कैसे पकाएं
खाना इन्हें भेजता कौन
बोलो न भैया क्यों हो मौन

पत्तियाँ इनका कारखाना
क्लोरोफिल का भरा खजाना
धूप हवा पानी मिल जाए
फिर ये भोजन स्वयं बनाएँ

कार्बन डाई ऑक्साइड रेट
दे ऑक्सीजन अनोखी भेंट
स्टार्च-शर्करा झट बन जाए
प्रकाश संश्लेषण कहलाये


(चित्र गूगल से साभार )

रविवार, 2 सितंबर 2012

मेरी नैया


छपाछप छैया ताल तलैया
नाचूँ मैं और मेरा भैया
बनी तो यह कागज की लेकिन
मुझको प्यारी मेरी नैया    


बिन पानी तो चलती कैसे
डूब डूब उतराती कैसे
बिन मोटर और बिन पतवार
ठुमक ठुमक इतराती ऐसे


दूर देश की सैर करे हम
बाधाओं से नहीं डरें हम
ठानी मन में नया करें कुछ
बन कोलम्बस बढे कदम 

बुधवार, 18 जुलाई 2012

चाट



कितने दिनों तक देखी बाट
माँ से आज बनवाई चाट
आलू मटर छोले नमकीन
अब तो अपने हो गए ठाट

पत्ते पर था उसे सजाया
चाट मसाला भी बुरकाया
चटनी भी थी खट्टी मीठी
चाट चाट के सबने खाया

खुशबू थी कुछ उसकी ऐसी
जान गए थे सभी पड़ोसी
हम तो सारे मिल जुल बैठे
बिल्लू अब्दुल पिंटू जस्सी

मानो जीभ लगे अंगारे
मिर्च लगी तो दीखे तारे
छुट्टी हमने खूब मनाई
खाकर चीनी खुश थे सारे






  


मंगलवार, 19 जून 2012

चींटी रानी




छोटे राजा नन्हीं रानी
फ़ौज है किन्तु उनकी भारी
जुटा रहे हैं दाना–पानी
कहलाये सामाजिक प्राणी

बातें करती भागी फिरती
मेहनत की हैं वो पुजारी
गिरती उठती उठकर चलती
लेकिन हार कभी ना मानी

चीनी मीठे की दीवानी
निश्चय होगी मीठी वाणी
कहती हो तुम कौन कहानी
चींटी रानी चींटी रानी



images :thanks google image 

शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

मच्छर जी


गुनगुन करते गीत सुनाते
बिना बात सिर पर चढ़ जाते
गगन तले व नदी किनारे
रहें पार्क में साथ हमारे

सुई लगाता बनकर डॉक्टर
बीमारी दे जाता अक्सर
साढ़े तीन हैं नाम में अक्षर
जी हाँ दादू वो हैं मच्छर

दादी को मैनें बतलाया
मजबूत इक किला बनवाया
द्वार नहीं पर कई झरोखे
लेकिन मच्छर इक न झाँके

सुन लो मच्छर तुम थे ज्ञानी
हम ले आये मच्छरदानी
अब कितना भी शोर मचाओ
दूर खेलो पास ना आओ  


सोमवार, 12 मार्च 2012

पर्यायवाची

आ गए परीक्षा के दिन... तो याद करने के लिये अपनाएं कुछ मजेदार तरीके
जैसे-



पर्यायवाची
1
भूमि धरती मही धरणी
पृथ्वी के हैं नाम सभी
2
नदी पार ले जाये जो
नौका नाव तरी तरणी
3
रात्रि रात निशा यामिनी 
रजनी या फिर विभावरी
4
मत्स्य मीन मकर शफरी
जल बिन तडपे रे मछली
5
कुंजर नाग मतंग करी
गज हाथी कि कहें दंती
6
उत्पल पद्म नलिन पंकज
जल उगे कमल कहो जलज

7
नीरद बादल जलद जलधर
इन्हें देख खुश हो हलधर

8
रम्य ललित मंजुल सुन्दर
अच्छा लगे कहें मनहर  
9
कमल जलज पंकज अम्बुज
शतदल उत्पल या नीरज
10
अंबु तोय वारिस नीर
जल कहलाता जीवन -क्षीर




मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

बूढी दादी





बूढी दादी रहे अकेली
संग साथ न कोई सहेली
दिन भर खुद से बात करे है
या सुलझाए कोई पहेली



चलो काम में हाथ बंटाएं
समय थोडा सा संग बिताएं
दादी के हम नन्हें साथी
उसे कहेंगे कथा सुनाएँ






चित्र : गूगल से साभार 

गुरुवार, 12 जनवरी 2012

पतंग


खिल रहे रंग
छाई उमंग
मन में तरंग
लाई पतंग
तक धिन धिन ना

                             
झूमती डोर
उठती हिलोर
मन हुआ मोर
हो रहा शोर
अरे !छूटे ना

प्राणों की जंग
सपने पतंग
रहना दबंग
सुन रे! मलंग
कट जाये ना

उठे फिर गिरे
गिरे फिर उठे
सुनो क्या कहे
छूटे टूटे
तो रूठो ना !               

करो एक बार
फिर तेज धार
बन होशियार
करना शिकार
अब चूको ना !