गुरुवार, 12 जनवरी 2012

पतंग


खिल रहे रंग
छाई उमंग
मन में तरंग
लाई पतंग
तक धिन धिन ना

                             
झूमती डोर
उठती हिलोर
मन हुआ मोर
हो रहा शोर
अरे !छूटे ना

प्राणों की जंग
सपने पतंग
रहना दबंग
सुन रे! मलंग
कट जाये ना

उठे फिर गिरे
गिरे फिर उठे
सुनो क्या कहे
छूटे टूटे
तो रूठो ना !               

करो एक बार
फिर तेज धार
बन होशियार
करना शिकार
अब चूको ना !

31 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब .....बहुत सुंदर बालकविता अर्थ समेटे हुए

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर और लयबद्ध
    बहुत खुबसूरत , बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह ...रंग -बिरंगे पतंग के साथ ही सुन्दर बाल-कविता

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी सुंदर प्रस्तुति,बढ़िया बाल अभिव्यक्ति रचना अच्छी लगी.....
    new post--काव्यान्जलि : हमदर्द.....

    जवाब देंहटाएं
  5. वंदना जी बहुत सुन्दर ...प्राणों की जंग सपने पतंग ...सुन्दर लय के साथ ..सुन्दर सन्देश देती प्यारी रचना ....
    भ्रमर ५

    जवाब देंहटाएं
  6. रंक बिरंगी पतंगों का मौसम आ गया है ...
    मकर संक्रांति की शुभकामनाएं ..

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर...
    लुभावनी कविता :-)

    जवाब देंहटाएं
  8. bahut hi sahaj shabdon men akarshit karati hai yah rachna .....abhar vandana ji

    जवाब देंहटाएं
  9. आपकी 'तक धिन धिन ना' तो गजब की है,वंदना जी.
    बचपन में पतंग उड़ाना बहुत अच्छा लगता था.
    आपने बचपन की याद दिला दी.
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आप आईं,बहुत अच्छा लगा.

    आपके हार्दिक उद्गार अच्छे लगते हैं.
    'हनुमान लीला भाग-३' पर कुछ और भी कहें
    तो और भी अच्छा लगेगा.

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बढ़िया सार्थक प्रस्तुति। धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  11. बेहतरीन!अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.!

    जवाब देंहटाएं
  12. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  13. गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें! जय हिन्द!

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुन्दर और सार्थक सृजन, बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत ही सुन्दर रचना है |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत सधी हुई कमाल की रचना...बधाई स्वीकारें

    नीरज

    जवाब देंहटाएं