रविवार, 2 सितंबर 2012

मेरी नैया


छपाछप छैया ताल तलैया
नाचूँ मैं और मेरा भैया
बनी तो यह कागज की लेकिन
मुझको प्यारी मेरी नैया    


बिन पानी तो चलती कैसे
डूब डूब उतराती कैसे
बिन मोटर और बिन पतवार
ठुमक ठुमक इतराती ऐसे


दूर देश की सैर करे हम
बाधाओं से नहीं डरें हम
ठानी मन में नया करें कुछ
बन कोलम्बस बढे कदम