इक कालीन कहीं मिल जाए
सैर गगन की हम कर आयें
उड़नखटोला लेकर मित्रों
फूलों की घाटी तक जाएँ
रंग बिरंगे फूल खिले हों
गुंजन भँवरे भी करते हों
बुलबुल मीठा गान सुनाती
अठखेली पंछी करते हों
तितली रस फूलों से लाये
सौरभ सबका मन हर्षाये
नन्हा सा इक बीज उगाकर
हम भी अपना फर्ज निभाएं
चित्र गूगल से साभार