शुक्रवार, 30 मई 2014

दीदी जैसा मेडल लाऊं

भींत पार की सुन्दर दुनिया
क्या सचमुच है भूल-भुलैया
कोई तो मुझको ले जाए
बॉटल टिफिन नये दिलवाए

विद्यालय का बस्ता भारी
करनी पड़े खूब तैयारी
अक्सर मुझे डराते भैया
लेकिन मैं जाऊँगा मैया

ईंट सहारे ऊपर चढ़कर
कल ना देखूँगा मैं छुपकर
नित-नित मैं व्यायाम करूँगा
जीवन में शुभ काम करूँगा

दीदी जैसा मेडल लाऊं
साहब पापा सा बन जाऊं
पंखों को फैलाकर अपने
देख रहा मैं सुन्दर सपने 




चित्र गूगल से साभार एवं ओबीओ परिवार को धन्यवाद सहित 

शनिवार, 15 मार्च 2014

खेलें होली



मस्त मस्त नाचे अलबेली
रंगरेजों की आई टोली

मन का कचरा आज जलाकर
द्वेष दर्द को चले मिटाकर        
जूही चंपा और चमेली
फूलों से भर लेंगे झोली

आया फागुन प्रेम जगाएं
नफरत को हम दूर भगाएं
थाली में रख मीठी बोली
आ री ! आली खेलें होली 



चित्र गूगल से साभार 

बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

घड़ी उपहार


राखी का था जब त्यौहार
घड़ी मिली मुझको उपहार

रंग अनोखा उसका लाल
मुझे उठाती प्रात:काल

कुकड़ू कूँ की देती टेर
कहती उठ जा होगी देर

घड़ी समय का देती ज्ञान
पलपल का रखना तुम ध्यान

समय बताती रहकर मौन
बूझो तो यह लाया कौन

भैया ने दी गुल्लक खोल

कहते बहना है अनमोल 





चित्र गूगल से साभार 

शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

मेरी पतंग

फरफर करती उड़ती जाती 
मन को ये भाने वाली है
रंग बिरंगे रूप सजाये
पतंग मेरी मतवाली है

कोई माथे चाँद सजाये
कभी तिरंगा हम फहराएं
संग दूसरों के मिलजुलकर
खेले वो खेल निराली है

लम्बी सी इक पूंछ लगाये
सर पर ताज पहन इठलाये
बादल से है दौड़ लगाती
पंछी से करे ठिठोली है


छूट डोर हाथों से जाये
या कि पतंग कभी कट जाये
सुख दुख का ही नाम जिंदगी

समझाये मेरी सहेली है 








सभी चित्र गूगल से साभार