सतरंगे पंखों पर आया
सोने का मोर
मुर्गे की बांग संग गूंजा
चिड़ियों का शोर
अलसाई हर टहनी डोली
गुड़िया ने भी आँखे खोली
पात पांत से तितली बोली
पुष्पन चहुँ ओर
भँवरो ने भी तान मिलाई
हर क्यारी गूंजी शहनाई
सूर्य जी बन आये सिपाही
तिमिर हुआ चोर
छुट्टी हो तो कसरत करना
देर तक किन्तु तुम ना सोना
दिन प्यारा सा आज बनाना
कहती है भोर
सतरंगे पंखो पर आया
सोने का मोर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें