हिचहिच हिचक जब आई हिचकी
परेशान हुई नन्हीं पिंकी
कहने लगी वह दादी माँ से
खाऊं क्या दही दूध बताशे
पानी काफी सारा पी लिया
नाम न इसने रुकने का लिया
नानी को तेरी याद आई
उत्तर दिया दादी मुस्काई
दादाजी सुनते थे सब बात
आओ बतलायें असली राज
डायफ्राम फेफड़ों के नीचे
सांस ले अंदर बाहर भेजे
फैलता सिकुड़ता फिर फैलता
यह सब निश्चित ताल में चलता
कभी अचानक सिकुड यह जाए
श्वास खिंचे आवाज़ जो आये
इसे ही तब हिचकी कहते हैं
फिर सांस गहरी लेते हैं
या पल भर रोक जो लेते हैं
मुक्त हिचकी से हो जातें हैं
सांस अंदर लेने से उतकों की कठोर परतों से बना, वक्षस्थल के निचले हिस्से में स्थित, 'डायाफ़्राम' पेट की ओर संकुचित हो फेफडों में हवा भरने देता है। इससे भोजन को श्वास नली में जाने से रोकने वाला 'एपिग्लाटिस' और वाक तंतुओं का प्रवेशद्वार 'ग्लाटिस' दोनो खुल जाते हैं। इस क्रिया में व्यवधान आने पर हिचकी शुरु हो जाती है।
जवाब देंहटाएंnice
बहुत प्यारा बल गीत बधाई और शुभकामनाएं वन्दना जी !
जवाब देंहटाएंBahut sundar balgeet......word varification hata den to tippani dena asan rahega....
जवाब देंहटाएंvandava ji
जवाब देंहटाएंjankaari se paripurn aapka pyaara sa bal geet bahut hi pyaara laga.
ati sundar
badhai
poonam