निशि से बोली उसकी नानी
आओं सुनाएँ एक कहानी
बहुत घना जंगल था जिसमें
एक हुआ था शेर अभिमानी
उस दिन खा पीकर सोया था
वो सुख सपनों मे खोया था
नन्हीं सी एक चुहिया आई
न जाने क्या मन मे समाई
चढ बैठी वो शेर के ऊपर
धमा चौकड़ी खूब मचाई
इधर उस शेर की आँख खुली
लगा जैसे ये धरती हिली
चुहिया को पंजे मे दबाया
डर लगता था अभी चबाया
पूछा उसने हे ! राजेश्वर
कहो आपको किसने सताया
शेर हँसा ठहाका लगाकर
चुहिया को ले हाथ उठाकर
कहा शेर ने तब ये झटपट
तू शैतान बड़ी ही नटखट
जीवन तेरा बचना मुश्किल
फिर भी बोल रही तू पट पट
यूँ तो थी वह डरी डराई
मांगी माफ़ी बात बनाई
हे ! जंगल के राजा सुन लो
कहते ज्ञानी तुम भी सुन लो
मूल्यवान नन्हें प्राणी भी
अब तुम चाहो कुछ भी चुन लो
राजा पर तू करे एहसान
ऐसी तो तू नहीं महान
पर जा तुझको मैंने छोड़ा
चुहिया ने अपना मुँह मोड़ा
सरपट सरपट दौड लगाईं
जैसे कोई अरबी घोड़ा
कुछ दिन बीते मुश्किल आई
शेर की जान पर बन आई
जाल मे फँस गया बेचारा
भूल गया घमंड वो सारा
दया करो हे सबके मालिक
घबरा कर भगवान पुकारा
पता लगा दल-बल बुलवाया
चुहिया ने तब मुक्त कराया
शेर हुआ शर्मिंदा काफी
चुहिया से फिर माँगी माफ़ी
चलो भुलाकर पुरानी बात
मिल जुल काटेंगे दिन बाकी
ध्यान रहेगा मुझे हर बार
सुईं की जगह न ले तलवार
Yah bal geet main padh nahin saka ....kyon ki shayad unicode men na hone ke karan iski font badal ja rahi hai.
जवाब देंहटाएं