पूछे दीदी की सहेली
गुडिया बूझो एक पहेली
जादू देखो यह हर बार
मनचाहा होवे आकार
रंग गंध भी अपनी नहीं
मरुस्थल मिले जल्दी नहीं
आता है वो सबके काम
बूझो बूझो उसका नाम
समझ पाई है यह पानी
गुण ऐसे कि हो हैरानी
मिली जगह कि फैले खुल के
नदिया सागर रूप हैं जल के
कण कण इसके दोस्त पक्के
जलद बनते नील गगन के
रंग गंध तो मित्र हजार
शक्ति इसकी होती अपार
देखो व्यर्थ बहे न पानी
वरना होगी परेशानी
बड़ा अनमोल अमृत है जल
आज खोया तो मिले न कल
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