भूले भटकों को राह दिखाता
दिशाहारों की आशा जगाता
हठीला है पूरब का प्यारा
खूब चमकता भोर का तारा
सब तारे चलकर इसे मनाएं
किरण बहनें भी लाख समझाएं
जब तक सूरज खुद ना आये
नन्हा ये तारा घर ना जाये
चलती रही है समय की चक्की
थी राजकुंवर ध्रुव की धुन पक्की
पा न सको जग में वो चीज नहीं
माँ ने ऐसी ही शिक्षा दी थी
हठ जो करो तो ध्रुव सी ही करना
छोटी बातों पर ध्यान न धरना
या तो सितारा भोर का बनना
या ध्रुव बन उत्तर दिशा चमकना
bahut sundar prastuti
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