रविवार, 21 अगस्त 2011

बरखा रानी


क्यारी क्यारी भरता पानी

फूल फूल की चुनरी धानी

चुन सावन डोकरियां सारी

खुशियाँ लायी बरखा रानी

बन बालहंस उड़ते फिरते

मछलियों संग तैरा करते

पांव जरा न सीधे पड़ते

शोर मचाते छप छप चलते

पत्ती-पत्ती ने मुँह धोया

खेतों में बीजों को बोया

देख जलद सूरज अलसाया

हर किसान अब था हरषाया


(सावन डोकरियां -वीरबहुटी )

सोमवार, 15 अगस्त 2011

भारत की नई तस्वीर


अपने हाथों से लिखेंगे हम अपनी तकदीर

बनायेंगे नये भारत की एक नई तस्वीर


गूंजे वेद ऋचाएं और पुराणों की वाणी

दिखलाती सन्मार्ग दादी नानी की कहानी

जन्मेंगे फिर यहाँ दधीचि कर्ण दानवीर

बनायेंगे नये भारत की एक नई तस्वीर


माता-पिता भक्त यहाँ राम श्रवण सम होंगे

संकल्पपूर्ण धीर भागीरथ भगत भी होंगे

मीरा सी भक्ति होगी होवेंगे भक्त कबीर

बनायेंगे नये भारत की एक नई तस्वीर


गांधी सा धैर्य और विवेकानंद का विवेक

फैलेगा हर घर में महावीर बुद्ध आलोक

सदा रहें तैयार देश हित बन जाएँ फ़कीर

बनायेंगे नये भारत की एक नई तस्वीर


लक्ष्मीबाई वीरांगना सी होंगी बालिकाएं

ममतामयी पन्नाधाय सी घर घर साधिकाएं

कल्पना चावला सा होगा एक लक्ष्य गंभीर

बनायेंगे नये भारत की एक नई तस्वीर


न भुलाएं अपनी थाती को लिखें संस्कृति गीत

केवल इतिहास नहीं हम विज्ञान के भी मीत

प्रेम अहिंसा आधारित होंगी नई तकनीक

बनायेंगे नये भारत की एक नई तस्वीर