शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

कठपुतली


चंचल चपल अरी कठपुतली

ठुमक ठुमक नाचे बन बिजली

डोर हिलाकर कौन चलाये

हाथ इशारे मौन नचाये

चाल सहेली किसने बदली

इत उत नाचे जैसे तितली

मधुर मधुर तू गान सुनाए

संदेसा अनुपम दे जाए

देख कमरिया तेरी पतली

याद हमें आ जाए मछली

http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=Vrsj4ZAU2PY#!

26 टिप्‍पणियां:

  1. कठपुतली के माध्यम से बहुत कुछ कहने की कोशिश अच्छी लगी

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  2. तितली जैसी रंग ब्रंगी रचना। बधाई।

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  3. बहुत खूब!

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    कल 31/10/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  4. अपने पर या अपने जज्बात पे लिखना आसान है परंतु इस तरह निर्जीव की सजीव अभिव्यक्ति अदभुत,उत्कृष्ट प्रस्तुति।

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  5. बड़े दिनों के बाद कठपुतली के बारे में पढ़ा अच्छा लगा

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  6. बच्चो के लिए लिखना आसान काम नही,फिर भी आपने कर दिखाया,मेरा आपके ब्लॉग में आना सार्थक रहा सुंदर प्रस्तुति...बधाई

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  7. चंचल चपल मेरी कठपुतली
    ठुमक ठुमक नाचे बन बिजली
    बचपन याद आ गया. सुंदर

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  8. अफसोस के अब कठपुतली के खेल का मज़ा और ज़माना दोनों ही चलगाया है मगर आपने बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया कठपुतली के खेल को आभार

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  9. बहुत सुंदर रंग बिरंगी प्रस्तुति...

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  10. मेरा मुख्य ब्लॉग काव्यांजली देखे,नई रचना 'माँ की यादे,

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  11. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.


    कृपया पधारें मेरे ब्लॉग पर भी और अपनी राय दें.

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  12. वाह...बहुत ही बढि़या

    कल 09/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है।

    धन्यवाद!

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  13. बहुत सुन्दर कठपुतली और और उतनी ही सुन्दर कविता..
    मुझे भी बचपन में कठपुतली देखने का बहुत शौक था लेकिन अब तो दुर्लभ सा होता जा रहा है यह खेल...
    बचपन की यादों के ताजगी के लिए धन्यवाद

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  14. शब्द चयन और प्रवाह देखते ही बनाता है.मुखाग्र होनेवाली बढ़िया कविता.

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  15. कल 14/11/2011को आपका ब्लॉग नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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