शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

कठपुतली


चंचल चपल अरी कठपुतली

ठुमक ठुमक नाचे बन बिजली

डोर हिलाकर कौन चलाये

हाथ इशारे मौन नचाये

चाल सहेली किसने बदली

इत उत नाचे जैसे तितली

मधुर मधुर तू गान सुनाए

संदेसा अनुपम दे जाए

देख कमरिया तेरी पतली

याद हमें आ जाए मछली

http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=Vrsj4ZAU2PY#!

रविवार, 2 अक्तूबर 2011

तितली


दूर देश से आई तितली
खबर बहुत सी लायी तितली

कानों को वो छूकर बोली
फूलों से मैं करूँ ठिठोली
सोचा मैनें दोस्त बना लूं
बैठ गयी चुपचाप हथेली

अपनी उसने कथा सुनाई
बागों में थी धूम मचाई
पुष्पों से लेकर मकरंद
खुशी से फूली न समाई

खिलें परस से उसके कलियाँ
बाग बगीचे जंगल गलियां
इन्द्रधनुष धरती पर छाये
आएँ जब जब तितली सखियाँ