बुधवार, 30 नवंबर 2011

चुहिया और बिल्ली

ताम ताम ते तत ते तानी
मैं तो हूँ शैतान की नानी
पूंछ उठाकर छम छम नाचे
छोटी नटखट चुहिया रानी

नीचे ऊपर ऊपर नीचे
चादर ताने परदे खींचे
लगा के ऐनक ऐसे बैठे
जैसे कोई चिट्ठी बांचे

दूर से बिल्ली देख  रही थी
पलकें झप झप झपक रही थी
कैसे पकडूँ कैसे झपटूँ
बैठी बैठी सोच रही थी

दोहराऊँगी वही कहानी
भूल जायेगी सब शैतानी
मैं तो ठहरी शेर की मौसी
याद आएगी तुझ को नानी

समझ न मुझको सीढ़ी सादी
देखी न होगी मुझ सी आंधी
बुजुर्गों ने भी मानी  हार
किसने मेरे घंटी बाँधी

ताम ताम ते तत ते तानी
बेशक तू शैतान की नानी
लेकिन मैं तुझसे भी सयानी
मेरा नहीं है कोई सानी


रविवार, 13 नवंबर 2011

जंगल में क्रिकेट

घोड़ों का मत था भाई
सारे मिलकर बोलो
गेंद और स्टिक ले आएँ
हम खेलेंगें पोलो

उधर हाथियों ने मिलकर
बना लिया एक प्लान
बॉल बड़ी सी लेकर के
हम खेलेंगे चौगान

बाकी सभी सोच रहे थे
नवीन पुरातन खेल
अच्छी यदि रहे भावना
खेल से बढ़ता मेल

अलग अलग ना अब सारे
मिल खेलेंगे क्रिकेट
कोई लाये बॉल और
कोई मंगाए बैट

झटपट मैदान बन गया
हुई तैयारी पूरी
लो तभी बरसात आई
रही खुशियाँ अधूरी

अगले दिन अब खेलेंगे
हम फिर से यही खेल
एक दूजे के पीछे सब
चल दिए बन कर रेल

बरसात रुकी तो सारे
दौड़े दौड़े आये
खेल का साजो सामान
उठाकर बन्धु लाए

लोमड़ी ने बैट पकड़ा
गधों ने की फील्डिंग
बंदर बॉलिंग करे था
हाथी अम्पायरिंग

कौवों ने शोर मचाया
जमकर किया था हूट
शेर बने थे मुख्य अतिथि
पहने हुए थे सूट

मिलजुल सबने की मस्ती
खूब मची रही धूम
आसमान सर पर ढोया
जंगल रहा था घूम




happy children's day