गुरुवार, 12 जनवरी 2012

पतंग


खिल रहे रंग
छाई उमंग
मन में तरंग
लाई पतंग
तक धिन धिन ना

                             
झूमती डोर
उठती हिलोर
मन हुआ मोर
हो रहा शोर
अरे !छूटे ना

प्राणों की जंग
सपने पतंग
रहना दबंग
सुन रे! मलंग
कट जाये ना

उठे फिर गिरे
गिरे फिर उठे
सुनो क्या कहे
छूटे टूटे
तो रूठो ना !               

करो एक बार
फिर तेज धार
बन होशियार
करना शिकार
अब चूको ना !