खिल रहे रंग
छाई उमंग
मन में तरंग
लाई पतंग
तक धिन धिन ना
झूमती डोर
उठती हिलोर
मन हुआ मोर
हो रहा शोर
अरे !छूटे ना
प्राणों की जंग
सपने पतंग
रहना दबंग
सुन रे! मलंग
कट जाये ना
उठे फिर गिरे
गिरे फिर उठे
सुनो क्या कहे
छूटे टूटे
तो रूठो ना !
करो एक बार
फिर तेज धार
बन होशियार
करना शिकार
अब चूको ना !