रविवार, 21 अगस्त 2011

बरखा रानी


क्यारी क्यारी भरता पानी

फूल फूल की चुनरी धानी

चुन सावन डोकरियां सारी

खुशियाँ लायी बरखा रानी

बन बालहंस उड़ते फिरते

मछलियों संग तैरा करते

पांव जरा न सीधे पड़ते

शोर मचाते छप छप चलते

पत्ती-पत्ती ने मुँह धोया

खेतों में बीजों को बोया

देख जलद सूरज अलसाया

हर किसान अब था हरषाया


(सावन डोकरियां -वीरबहुटी )

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत प्रसन्न और सहज-भाव से भरी कविता पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया - आभार स्वीकारें !

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  2. भादो - भादो की छाता को याद दिलाती मनोहर कविता !

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  3. बहुत प्यारा वर्णन है
    मासूम सा....

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  4. badiya rachna..
    barsha ke mausam ka bhi apna hi ek alag saundrya hai..
    Ganesh chaturthi kee haardik shubhkamnayen...

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  5. बहुत सुन्दर वर्णन |
    बधाई |
    आशा

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  6. बहुत ही बढ़िया कविता है बच्चों के लिए।

    सादर

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  7. बहुत सुन्दर भाव. आपने ब्लॉग पर पधारकर उत्साहवर्धन किया, आशा है की आपका सहयोग भविष्य में भी मिलता रहेगा.
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