नन्नू आओ माही आओ,
खेलेंगे हम होली
मीठी गुझिया में मम्मी ने,
मेवा-मिश्री घोली
गली गली हुडदंग मचाते,
घूमें नन्हे तारे
अगर ढोल पर ताल बजी तो,
थिरकेंगे मिल सारे
भर पिचकारी तुम ले आओ,
मैं रंगों की थाली
सुर में चाहे चाहे बेसुर,
गायें मिल क़व्वाली
गुब्बारों से दूर रहें हम,
हो बरबाद न पानी
तभी सयाने कहलायें जो,
बात बड़ों की मानी
ता रा रा रा करती घूमे,
इक मस्तानी टोली
मम्मी बोली बस भी कर दो,
होली तो अब हो ली
सार छंद
चित्र गूगल से साभार
हो ली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (08-03-2015) को "होली हो ली" { चर्चा अंक-1911 } पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर...
जवाब देंहटाएंहोली की मंगलकामनाएं!
अच्छा संदेश देती कविता
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!
http://savanxxx.blogspot.in
कितना कुछ कहती है ये सुन्दर रचना होली को ले कर भी ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना ...
बहुत रोचक व सुन्दर रचना।
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