धरती अपनी गोल मटोल
कुदरत के सब चक्कर गोल
देखो भेद रही है खोल
समय रहते ही समझो मोल
उर्जा देते हैं सूरज दादा
बाँटेंगे पेड़ क्र लिया वादा
आये ना इसमें कोई बाधा
हिस्सा सबका कम न ज्यादा
दूषित वायु ये अपनाएँ
शुद्ध हवा हमको दे जाएँ
पत्तियां इनकी भोजन बनाएँ
पौधों से सब जीवन पायें
एक दूसरे के उपकारी
शाकाहारी -माँसाहारी
वन वैभव बिन नहीं निभेगी
वन जीवों से रिश्तेदारी
बच्चों के लिए लिखी गई कविता बहुत प्यारी है ......आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्यारी प्यारी सी कविता.
जवाब देंहटाएंवन वैभव बिन नहीं निभेगी
वन जीवों से रिश्तेदारी.
bahut hi pyaari rachna ... bachche khush, main bhi khush
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता...
जवाब देंहटाएंBahut achi rachna...badhai..
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी आपकी कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ,अच्छी लगी, बधाई ....
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही बढि़या ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी कविता. शब्द पुष्टिकरण/वोर्ड वेरिफिकेशन हटा दें असुविधा होती है सबको
जवाब देंहटाएंबहुत ही मनभावन,बहुत ही सुन्दर.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमहा काल के हाथ पर गुल होतें हैं पेड़ ,सुषमा सारे लोक की कुल होतें हैं पेड़ ,और एक बात और अपनी ही खुद खाद भी बन जातें हैं पेड़ ,अच्छी सार्थक सौदेश्य पोस्ट .बधाई .
जवाब देंहटाएंHypnoBirthing: Relax while giving birth?
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रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .(कबीरा खडा बाज़ार में ...........)
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बृहस्पतिवार, ११ अगस्त २०११
सुंदर भाव का सम्प्रेषण ....अच्छी शैली में ... .....!
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