मेरी नैया
छपाछप छैया ताल
तलैया
नाचूँ मैं और
मेरा भैया
बनी तो यह कागज
की लेकिन
मुझको प्यारी
मेरी नैया
बिन पानी तो
चलती कैसे
डूब डूब उतराती
कैसे
बिन मोटर और
बिन पतवार
ठुमक ठुमक
इतराती ऐसे
दूर देश की सैर
करे हम
बाधाओं से नहीं
डरें हम
ठानी मन में
नया करें कुछ
बन कोलम्बस बढे
कदम
प्यारी कविता ..सुंदर चित्र.....
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जवाब देंहटाएंबढ़िया बाल गीत अभिनव शब्द प्रयोग -छपाछप छैया .ताल तलइया........
सोमवार, 3 सितम्बर 2012
Protecting Your Vision from Diabetes Damage मधुमेह पुरानी पड़ जाने पर बीनाई को बचाए रखिये
Protecting Your Vision from Diabetes Damage
मधुमेह पुरानी पड़ जाने पर बीनाई को बचाए रखिये
?आखिर क्या ख़तरा हो सकता है मधुमेह से बीनाई को
बेहद सुन्दर कविता, बधाई
जवाब देंहटाएं(अरुन = www.arunsblog.in)
बहुत सुन्दर ... आशा का संचार करती ... लाजवाब बाल रचना ...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
bahut badhiya ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर!!
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना...
जवाब देंहटाएंअरे वाह!
जवाब देंहटाएंआपकी नैय्या तो कमाल की है वंदनाजी.
सुन्दर,मनमोहक और प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार.
बहुत प्यारी मासूम सी कविता बच्चों की तरह ...वाह
जवाब देंहटाएंबच्चों सी चुलबुली रचना ...सुन्दर !
जवाब देंहटाएंवंदना जी बहुत सुंदर बाल गीत हैं बच्चों के साथ बड़ो को भी पसंद आए ।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
प्यारी रचना !
जवाब देंहटाएंअपनी नैय्या में बैठ मेरे ब्लॉग पर आईएगा,वन्दना जी.
जवाब देंहटाएंसुन्दर बहुत प्यारी सुर , लय ताल कि समभागी बेहद खूबसूरत |
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