रविवार, 25 जुलाई 2010

चंदा

प्यारा उड़नखटोला ले के
चंदा मेरे घर आयेगा
सैर गगन की मुझे कराने
संग अपने ले जायेगा।
बादल से है दौड़ लगाता
तारों से मिल, करे ठिठोली
पास बुलाकर मुझसे कहता
आ खेलेंगे आँख -मिचौली ।
टॉफी,लड्डू , खेल -खिलौने
लाकर मैं उसे दिखाऊंगा
जो देखें हैं सपने मैंने
वो सब उसे सुनाऊंगा ।
मुझ जैसा ही नटखट है वो
दोस्त मेरा बन जायेगा
मन से निर्मल शीतल है जो
प्यार का जादू सिखलाएगा ।
प्यारा उड़न खटोला ले के
चंदा मेरे घर आयेगा !


शुक्रवार, 23 जुलाई 2010

ऊँट और पहाड़

आया ऊँट पहाड़ के नीचे
घूम के देखा आगे-पीछे
देखी पर्वत की ऊँचाई
ऊँट रह गया बस दम खींचे

उफ़ ! तौबा यह बहुत बड़ा है
कैसे सीधा अकड़ खड़ा है
कोई इसको झुका न पाए
इसी वजह से तना पड़ा है

तभी दिखा पौधा नन्हा सा
गिरि-शिखर पर इतराता था
ऊंचा होकर पर्वत से वो
मस्त झूमता लहराता था

फिर तो उसने जुगत भिड़ाई
चढ़ पहाड़ फोटो खिंचवाई
हिम्मत से क़द बढ़ जाता है
बात पते की उसने पाई

शनिवार, 10 जुलाई 2010

जुगनू

देखो तो धरती पर तारे
कितने सारे प्यारे प्यारे
तुम मेरे घर रहने आये
साथ नहीं क्यों चाँद को लाये


आज कहीं तुम रस्ता भूले
पास इतने कि हम भी छूलें
आसमां से उतर के आये
चम चम करते मन को भाए


दौडूँ इनको हाथ में ले लूं
या माँ के आँचल में भर लूं
वापस ना ये जाने पाए
माचिस की इक डिबिया लायें


नाना बोले हंसकर चुन्नू !
क्या पहले नहीं देखे जुगनू !
धरती पर जो दिखते तारे
ये जुगनू कहलाते प्यारे ।

चित्र गूगल से साभार 

शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

गुब्बारे वाला

माँ !देखो गुब्बारे वाला
रंगों के फव्वारे वाला
चुनमुन ,ननमुन सभी को भाया
सबके लिए ही खुशियाँ लाया
गुब्बारे में ककड़ी खीरे
कोई तोता मोर बनाया
किसी में हलकी गैस भरे
किसी में केवल हवा भरे
लाया है रंगों की गठरी
फरफर फुर फुर सभी उड़े
वो समझे मेहनत की भाषा
दिन भर घूमे भूखा-प्यासा
तन पर चिथड़े पैर है नंगे
रखता होगा हमसे आशा
एक गुब्बारा मुझे दिलवा दो
एक दिलवा दो छुटकू को
जैसे खुश होंगे दोनों हम
वैसे ही खुश होगा वो !

गुरुवार, 8 जुलाई 2010

माँ परी

माँ ! मैंने देखी एक परी
वो बिलकुल तेरे जैसी थी

तुम जैसी ही प्यारी प्यारी
उजली उजली गोरी गोरी
हाथों में फूलों की डाली
प्यार बहुत सा करने वाली ।

कभी ना लड़ना हिलमिल रहना
सही राह पर निर्भय बढ़ना
प्रेम देश से अपने करना
परियों की रानी का कहना ।

हंसी फूल से भी कोमल
पंख जैसे तेरा आँचल
बाल घनेरे जैसे काजल
तपती धूप में छाये बादल ।

मेरी खातिर लोरी गाई
चोकलेट भी दिलवाई थी
माँ!सच कहना क्या तुम ही ,
मेरे सपने में आई थी !

चित्र गूगल से साभार